हम तराने तेरे प्यार के, मरते मरते भी गाते रहे, तेरे दीपक की लो कम न हो, इसलिए खून बहाते रहे, तेरा महके हमेशा चमन, ऐ वतन मेरे वतन...मेरे वतन, तेरे आशिक दुआ कर चले, हुस्न तेरा दमकता रहे, सर हमारा रहे न रहे, तेरा माथा चमकता रहे, तेरी धरती को चूमे गगन, ऐ वतन मेरे वतन...मेरे वतन, जय हिन्द ये हैं बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थिति नंदप्रयाग के पास एक छोटा सा गांव पुरसाड़ी..पांच दिन से 22 परिवारों वाले गांव का दूश्य बदला हुआ है..सड़क के एक ओर टेंट लगाकर बनी रसोई में दस से ज्यादा गांवों की महिलाएं भोजन बनाने में जुटी हैं..इनमें से कई15 से 20 किलोमीटर पैदल चलकर यहां पहुंच रही हैं..रसोई में तीन शिफ्ट में दो हजार लोगों के लिए 24 घंटे खाना पकाया जा रहा है..भोजन बदरीनाथ राजमार्ग पर फंसे यात्रियों के लिए है...सिर्फ पुरसाड़ी ही नहीं, खाना दस किलोमीटर दूर चमोली तक पहुंचाया जा रहा है..वह भी निशुल्क.. "भारत की मिडिया" अब ये न बोल देना की ये किसी शादी का दृश्य है...? अपनी जान की परवाह किए बिना भारतीय सेना बाढ़ की मार झेल रहे लोगों को बचाने में जुट गई है। सेना के 5,000 जवान राहत और बचाव कार्यो...
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